HINDI KAHANI CAN BE FUN FOR ANYONE

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फिर सभी ने उस सन्यासी से कहा “तो आप यह काम जल्द से जल्द करिये”। इस पर उस सन्यासी ने कहा “एक समस्या है, इस कार्य लिए परिवार के किसी अन्य सदस्य को अपनी प्राण त्यागना होगा।

सबसे पहले हम अपने पाठकगण से यह कह देना आवश्यक समझते हैं कि ये महाशय जिनकी चिट्ठी हम आज प्रकाशित करते हैं रत्नधाम नामक नगर के सुयोग्य निवासियों में से थे। इनको वहाँ वाले हंसपाल कहकर पुकारा करते थे। ये बिचारे मध्यम श्रेणी के मनुष्य थे। आय से व्यय अधिक केशवप्रसाद सिंह

एक दिन मृगनैनी अपने मां के साथ घूम रही थी, तभी दो गीदड़ आ गए।

राजा की नींद खुल जाती है अपने ऊपर हुए हमले को जानकर वह बहुत भयभीत हो जाते हैं, किंतु दूसरे क्षण वह भील व्यक्ति पर प्रसन्न होकर उन्हें दो गांव देने का वायदा करते हैं।

सुखदेव ने ज़ोर से चिल्ला कर पूछा—'मेरा साबुन कहाँ है?' श्यामा दूसरे कमरे में थी। साबुनदानी हाथ में लिए लपकी आई, और देवर के पास खड़ी हो कर हौले से बोली—'यह लो।' सुखदेव ने एक बार अँगुली से साबुन को छू कर देखा, और भँवें चढ़ा कर पूछा—'तुमने लगाया था, क्यों?

मोरल – लक्ष्य कितना भी बड़ा हो निरंतर संघर्ष करने से अवश्य प्राप्त होता है।

मदन उड़ीसा के एक छोटे से गांव में पला-बढ़ा। पढ़ लिखकर वह एक अच्छी सी नौकरी करने लगा। नौकरी में लगातार हुए प्रमोशन से उसे खूब तरक्की और शोहरत की प्राप्ति हुई। वह अब शहर में रहने लगा , वहां मदन को ग्यारहवीं मंजिल पर एक आलीशान फ्लैट कंपनी के द्वारा मिला। मदन अपनी पत्नी को एक बच्चे के साथ खूब ऐसो आराम से रहने लगा।

इसके बाद गुरु उस व्यक्ति के शव के पास आए और बोले हे व्यक्ति तुम उठ खड़े हो जॉव। वह व्यक्ति उठ कर बैठ गया। फिर उसके गुरु वहाँ से जाने लगे। उसने अपने गुरु को रोका और गुरु से कहा, “मैं भी आपके साथ चलता हु”।

चूहा बोतल पर चढ़ा किसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो जाता है। अब उसमें चूहा मुंह घुसाने की कोशिश करता है। बोतल का मुंह छोटा था मुंह नहीं घुसता। फिर चूहे को आइडिया आया उसने अपनी पूंछ बोतल में डाली। पूंछ शरबत से गीली हो जाती है उसे चाट-चाट कर चूहे का पेट भर गया। अब वह गोलू के तकिए के नीचे बने अपने बिस्तर पर जा कर आराम से करने लगा।

मुकेश को अब स्कूल और घर के बीच किसी प्रकार की गंदगी दिखाई नहीं देती थी। इसे देखकर वह काफी खुश होता था।

कहानी एक अत्यंत लोकप्रिय विधा के रूप में स्वीकृत हो चुकी है। प्रायः सभी पत्र-पत्रिकाओं में, पाठकीय माँग के फलस्वरूप, कहानियों का छापा जाना अनिवार्य हो गया है। इस देश की प्रत्येक भाषा में केवल कहानियों की पत्रिकाएँ भी संख्या में कम नहीं हैं। रहस्य, रोमांस, ज्ञान और साहस की कहानियों के अतिरिक्त उनमें जीवन को गंभीर रूप में लेने वाली कहानियाँ भी छपती हैं। साहित्यिक दृष्टि से इन्हीं का महत्व है। ये कहानियाँ चारित्रिक विशेषताओं, ‘मूड’, वातावरण, मुश्किल स्थितियों आदि के साथ सामाजिक-आर्थिक जीवन से भी संबंद्ध होती हैं। सामानयतः कहानी मीमांसा के लिए छः तत्वों का उल्लेख किया जाता है –

राम अपने भाई श्याम को उन दोस्तों से बचने के लिए कहा करता, मगर श्याम उसे डांट लगा देता और कहता अपने काम से काम रखा करो। श्याम के दोस्त घर से स्कूल जाने के लिए निकलते और रास्ते में कहीं और चले जाते।

किंतु जैसे ही मछुआरा जाल समेटने के लिए आगे बढ़ा तो समझदार मछली ने मरे हुए होने का झूठा स्वांग, नाटक किया। मछुआरे ने मरा हुआ समझकर उस मछली को निकालकर फेंक दिया। वह मछली अपनी समझदारी का प्रयोग करते हुए उछलकर नदी में भाग गई, किंतु जो आलसी मछली थी वह जाल में पड़ी रही। मछुआरों ने उसे ले जाकर बाजार में बेच दिया इस प्रकार उसके प्राण निकल गए। अतः बुद्धि का प्रयोग अवश्य करना चाहिए बुद्धि का प्रयोग करके ही हम विकट परिस्थितियों में बच सकते हैं।

एक समय की बात है, एक गांव में ढेर सारे मुर्गे रहते थे। गांव के बच्चे ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था। मुर्गा परेशान हो गया, उसने सोचा अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा। सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी, और मुझे तंग नहीं करेंगे। मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला। सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता। सबका काम चलता रहता है।

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